Lord Vishnu Incarnation Parshuram ji | भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम - Jaane Sab kuch

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रविवार, 26 अप्रैल 2020

Lord Vishnu Incarnation Parshuram ji | भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम

भगवान राम और कृष्ण के विष्णु अवतार होने के बारे में तो हम सभी जानते ही हैं पर क्या आप विष्णु जी के 6वें अवतार परशुराम जी के बारे में जानते हैं | जी हाँ वही ऋषि रुपी शक्तिशली परशुराम जिनको हमने महाभारत  रामायण में देखा और पढ़ा है | तो आज हम जानेंगे इनके कुछ गुण और इनके जीवन से जुडी कुछ घटनाएं | 

भगवान परशुराम का उल्लेख्य विष्णु पुराण,भागवत पुराण,रामायण और कल्कि पुराण जैसे महा पुराणों में हुआ है | इन्हे ब्राह्मणों का देवता या भगवान भी कहा जाता है | केरला,गोवा,कोंकण,इंदौर,यूपी आदि जगह वे सदैव ही पूजनीय एवं वंदनीय हैं |

भगवान परशुराम फरसा और धनुष-बाण लिए हुए

कौन हैं भगवान परशुराम ?

भगवान परशुराम भगवान विष्णु जी के छठे अवतार हैं | वे ना केवल शास्त्र बल्कि शस्त्र विद्या के भी महान ज्ञाता हैं जिनका उल्लेख्य रामायण,महाभारत आदि में भी मिलता है |

भगवान परशुराम जी का जन्म 

भगवान परशुराम जी का जन्म त्रेता युग में एक ब्राह्मण महर्षि जमदग्रि के यहाँ वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया याना अक्षय तृतीया को मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के मानपुर ग्राम के जानापाव पर्वत पर हुआ था जो कि महर्षि भृगु के पुत्र थे |

भगवान विष्णु जी के छठे अवतार 

त्रेता युग में जब कुछ हैहयवंशी क्षत्रिय राजाओं द्वारा प्रजा,पशु और प्रकृति पर अत्याचार बढ़ने लगा तब धरती के प्राणियों को बचाने के लिए विष्णु भगवान ने छठवां अवतार ब्राह्मण रूप में महर्षि जमदग्रि और उनकी पत्नी रेणुका जी के यहाँ लिया | फिर बाद में परशुराम भगवान ने सहस्त्रबाहु जैसे पापी राजा जो गाय व प्रजा पर अत्याचार करता था उस को मारकर धरती पर धर्म को ना केवल बचाया बल्कि 21 बार धरती को क्षत्रियविहीन कर दिया | 

भगवान परशुराम की शिक्षा 

परशुराम भगवान की जीवन के प्रारंभिक वर्षों की शिक्षा उन्होंने अपनी माँ के गर्भ में ही सीख ली थी | वे शास्त्र ही नहीं शस्त्र विद्या के भी महान ज्ञाता हैं | वे पशु-पक्षियों की भाषा भी जानते हैं | वे केवल ब्राह्मणो को ही शिक्षा प्रदान करते थे लेकिन इसमें भी अपवाद थे भीष्म और कर्ण |

परशुराम जी और उनके पिता महर्षि जमदग्रि
Image Source:Internet 


 उनकी तपस्या से खुश होकर शिव भगवान ने उन्हें एक फरसा यानी परशु भी दिया था जिस से ही उनका यह नाम 'परशुराम' प्रसिद्द हुआ | 

भगवान परशुराम जी का स्वभाव 

इनका स्वाभाव काफी गुस्सैल और आक्रामक रहा है जिन के फरसे की गर्जना से क्षत्रिय राजा थर्र-थर्र कांपते थे | 
पूराणो के अनुसार वैसे तो वे जन्म से ब्राह्मण थे पर उनका स्वभाव एकदम क्षत्रियों जैसा लड़ाकू था | वे भार्गव गोत्र के पहले ऐसे वंशज थे जो गुरुओ और बड़ों का आदर करते थे और अपने माता-पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे | 

भगवान परशुराम जी के शस्त्र 

भगवान परशुराम जी के एक हाथ में फरसा(परशु) होता है जो शिव जी द्वारा दिया गया था और दूसरे हाथ में धनुष-बाण होता है | यही इनके मुख्य शस्त्र हैं |

फरसा और धनुष-बाण

भगवान परशुराम के जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं 

सहस्त्रबाहु का विनाश 

सहस्त्रबाहु महिष्मति पर राज्य करता था और प्रजा और पशुओं पर घोर अत्याचार करता था | एक बार उसे पता लगा कि महर्षि जमदग्रि के पास एक कामधेनु गाय है जो सभी इक्षाओं की पूर्ति करती है,फिर क्या वह चल दिया ऋषि के पास उनसे वह गाय मांगने | सहस्त्रबाहु ने ऋषि जमदग्रि को कई उपहार देकर वे गाय उनसे मांगनी चाही पर ऋषि जानते थे कि वह इसका उपयोग प्रजा के भले के विपरीत अपनी इच्छाएं तुष्ट करने में करेगा इसलिए उन्होंने मना कर दिया जिस से गुस्से में आकर वे कामधेनु कपिला गाय को आश्रम से ले गया | 
भगवान परशुराम को जैसे ही इस बारे में पता लगा उन्होंने सहस्त्रबहु से युद्ध किया और उसकी सारी भुजाओं को काटकर उसको मार दिया और अपनी प्रिय कामधेनु गाय को वापस आश्रम ले आये |

अब सहस्त्रबाहु की मृत्यु से क्रोधित उसके पुत्रो ने पुनः परशुराम भगवान जी की गैरमौजूदगी में आश्रम आकर कामधेनु गाय और उनके पिता की हत्या कर दी | इस सब से क्रोधित होकर परशुराम भगवान ने सभी पापियों को मारने का प्रण लिया और चले गए महिष्मति युद्ध करने जिसमे उन्होंने सहस्राबहु के पुत्रो समेत पूरी सेना को अकेले ही हरा दिया और उस राज्य को ब्राह्मणो को दान कर दिया | 

परशुराम जी द्वारा किये गए कार्य


अपनी ही माता का गला काटना 

एक बार परशुराम भगवान के पिताजी ने उनकी माता पर अत्यंत क्रोध हुआ और उन्होंने अपने सभी पुत्रों से अपनी माँ का गला काटने को बोला पर कोई तैयार नहीं हुआ परन्तु परशुराम जी आज्ञाकारी पुत्र होते हुए अपनी पिता की बात मान कर अपनी माँ का गला काट दिया और बचाव में आये भाइयों को भी मार दिया | उनके इस आज्ञापालक स्वाभाव को देखकर उनके पिताजी ने उनसे कोई वरदान मांगने को कहा जिस पर परशुराम जी ने वापस अपनी माँ और भाइयों का जीवन माँगा और यह इच्छा भी जताई कि यह सब वे भूल जाएं ,तदुपरांत वे सब जीवित हो गए | 

शिव जी का धनुष {राम-लक्ष्मण संवाद}

जब जनकपुर की राजधानी मिथिला में सीता जी स्वयंवर चल रहा था तो राजा जनक ने उनको शिव जी द्वारा प्रदान किया हुआ धनुष उठाने की प्रतियोगिता रखी जो भगवान विष्णु के ही 7वे अवतार श्री राम जी ने ना केवल उठाया बल्कि तोड़ भी दिया जिसके टूटने की खबर सुनकर परशुराम जी कि ध्यान में लींन थे उन्हें क्रोध आ गया और वह मन की शक्ति से जनक के दरबार में पहुँच गए और कहा- जिसने यह शिव धनुष तोडा है वो सहस्त्रबाहु सामान ही मेरा दुश्मन है,बाद में लक्ष्मण जी ने उन पर व्यंग कर उनको चेताया भी पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी ने बात संभाल कर उनको अपना असली समरूप दिखाया जिस पर परशुराम जी ने अपने बाद वाले अवतार को नमन किया और उनकी परिक्रमा की और आशीर्वाद भी दिया,साथ ही राम जी ने परशुराम जी का पूजन कर उनका अभिवादन किया | 

कल्कि अवतार के गुरु 

कल्कि पुराण में लिखित है कि कलियुग के अंत में जब कल्की अवतार के रूप में विष्णु जी का 10वा अवतार प्रकट होगा तब परशुराम जी ही उसके गुरु बनकर उसको शस्त्र विद्या सिखाएंगे | 

परशुराम भगवान के जीवन से जुड़े अनोखे तथ्य 

1-पुराणों के अनुसार भगवान परशुराम अमर है और त्रेतायुग,द्वापरयुग, व कलियुग में भी जीवित रहेंगे और उनकी मदद हर युग में रहेगी |

2-परशुराम जी भगवान विष्णु जी के दूसरे मानव अवतार हुए हैं |

3-परशुराम जी ने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियविहीन किया था |

4-वे मन की गति से कहीं भी आ और जा सकते थे |

5-शिव जी ने उन्हें एक अलौकिक फरसा दिया था जिस से उन्होंने कई गर्दनों को काटा |

6-परशुराम जी ही कई युद्ध नीति और आज के ज़माने की मारशियल आर्ट्स करे संस्थापक हैं |

7-परशुराम जी ने लाखों क्षत्रियो को मारा था |

8-उनका प्रकृति से प्रेम बहुत रहा है और वे पशु-पक्षियों की भाषा भी जानते थे |

9-कहा जाता है भारत के अधिकांश गांव उन्ही के द्वारा बसाये हुए हैं |

10-मान्यता है कि भगवान परशुराम जैसा वीर योद्धा और पंडित मनुष्य (जो शास्त्र और शस्त्र का परम ज्ञाता हो)आज तक ना हुआ है और ना ही होगा | वे बहुत ही बलशाली और बुद्धिशाली हैं |
11-परशुराम भगवान विष्णु जी के वामन और राम अवतार के मध्यस्थ अवतार हुए | 

तो इस आर्टिकल से हमे भगवान परशुराम जी के साहसी और जीवन की छवि देखने को मिली है जिस से हमें उनकी तरह ही आज्ञापालक,वीर और प्रकृति प्रेमी होने की शिक्षा मिलती है | 

2 टिप्‍पणियां:

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